णमोकार महामंत्र एक लोकोतर मंन्र है । इस मंन्तर को जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूल मंन्तर माना जाता है। इसमें
किसी व्यक्ति का नहीं ,किन्तु संपूर्ण रूप से विकसित और विकासमान विशुद्ध आत्मस्वरूप का ही दर्शन,स्मरण,चिन्तन,ध्यान
एवं अनुभव किया जाता है। इसलिए यह अनादि और अक्षयस्वरूपी मंन्र है ।
लौकिक मन्त्र आदि सिर्फ़ लौकिक लाभ पहँुचाते हैं, किन्तु लोकोतर मंन्र लौकिक और लोकोतर दोनों कार्य सिद्ध करते हैं ।
इसलिए णमोकार मंन्र सर्वकार्य सिद्धकारक लोकोतर मंन्र माना जाता है ।
णमोकार- स्मरण से अनेक लोगों के रोग,दरिद्रता,भय,विपत्तियाँ दूर होने की अनुभव सिद्ध घटनाएँ सुनी जाती हैं । मन चाहे
काम आसानी से बन जाने के अनुभव भी सुनें हैं । अत: यह निश्चित रूप में माना जाता सकता है कि णमोकार मंन्र हमें जीवन
की समस्याओं, कठिनाइयों ,चिंन्ताओं, बाधाओं से पार पहुँचाने में सबसे बड़ा आत्मसहायक है । इसलिए इस मंन्र का नियमित
जाप करना बताया गया है ।
इस महामन्त्र को जैन धर्म के अनुसार सबसे प्रभावशाली माना जाता है ।ये पाँच परमेष्टी हैं ।इन पवित्र आत्माओं को शुद्ध
भावपूर्वक किया गया,यह पंच नमस्कार सब पापों का नाश करने बाला है । संसार में सबसे उत्तम मंगल है । इस मंन्र के
प्रथम पाँच पदों में ३५ अक्षर और शेष दो पदों में ३३ अक्षर हैं । इसतरह कुल ६८ अक्षरों का यह महामन्त्र समस्त कार्यों को
सिद्ध करने वाला व कल्याणकारी अनादि सिद्ध मन्त्र है। इसकी आराधना करने वाला स्वर्ग और मुक्ति को प्राप्त कर लेता है।
सबसे बढ़कर है नवकार,करता है भवसागर पार ।
चौदह पूरब का यह सार, बारम्बार जपो नवकार ।।
किसी व्यक्ति का नहीं ,किन्तु संपूर्ण रूप से विकसित और विकासमान विशुद्ध आत्मस्वरूप का ही दर्शन,स्मरण,चिन्तन,ध्यान
एवं अनुभव किया जाता है। इसलिए यह अनादि और अक्षयस्वरूपी मंन्र है ।
लौकिक मन्त्र आदि सिर्फ़ लौकिक लाभ पहँुचाते हैं, किन्तु लोकोतर मंन्र लौकिक और लोकोतर दोनों कार्य सिद्ध करते हैं ।
इसलिए णमोकार मंन्र सर्वकार्य सिद्धकारक लोकोतर मंन्र माना जाता है ।
णमोकार- स्मरण से अनेक लोगों के रोग,दरिद्रता,भय,विपत्तियाँ दूर होने की अनुभव सिद्ध घटनाएँ सुनी जाती हैं । मन चाहे
काम आसानी से बन जाने के अनुभव भी सुनें हैं । अत: यह निश्चित रूप में माना जाता सकता है कि णमोकार मंन्र हमें जीवन
की समस्याओं, कठिनाइयों ,चिंन्ताओं, बाधाओं से पार पहुँचाने में सबसे बड़ा आत्मसहायक है । इसलिए इस मंन्र का नियमित
जाप करना बताया गया है ।
इस महामन्त्र को जैन धर्म के अनुसार सबसे प्रभावशाली माना जाता है ।ये पाँच परमेष्टी हैं ।इन पवित्र आत्माओं को शुद्ध
भावपूर्वक किया गया,यह पंच नमस्कार सब पापों का नाश करने बाला है । संसार में सबसे उत्तम मंगल है । इस मंन्र के
प्रथम पाँच पदों में ३५ अक्षर और शेष दो पदों में ३३ अक्षर हैं । इसतरह कुल ६८ अक्षरों का यह महामन्त्र समस्त कार्यों को
सिद्ध करने वाला व कल्याणकारी अनादि सिद्ध मन्त्र है। इसकी आराधना करने वाला स्वर्ग और मुक्ति को प्राप्त कर लेता है।
सबसे बढ़कर है नवकार,करता है भवसागर पार ।
चौदह पूरब का यह सार, बारम्बार जपो नवकार ।।
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