का धर्म नहीं,अन्दर में आत्मा का धर्म है।अधिक गहराई में जाकर केवल "जैन" शब्द पर विचार करें तो इस सत्य का मर्म स्पष्ट
हो सकता है।
जैन का अर्थ है "-जिन" को मानने वाला ।जो जिन को मानता हो,जिन की भक्ति करता हो,जिन की आज्ञा में चलता हो
और जो अपने अन्दर में जिनत्व के दर्शन करता हो,जिनत्व के पथ पर चलता हो,वह जैन कहलाता है ।
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