Wednesday, 10 April 2013

मंगल - धुन ----------

ओम गुरू ओम गुरू ओम गुरू गुरूदेव।- जय गुरू जयगुरू जय गुरूदेव ।
देव हमारा श्री अरिहन्द। - गुरू हमारा सद गुणी सन्त ।।
भयहर भयहर भज भगवान ।-सुर नर मुनिवर धरत हैं ध्यान ।।
सहजानन्दी शुद्ध स्वरूप ।- अविनासी में आत्म-स्वरूप ।।
श्रृषभ जय जय प्रभु पार्श्वव जय जय ।-महावीर जय गुरू गौतम जय जय ।।

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