चैदह पूर्व का यह सार, बारम्बार जपो नवकार ।।
ऋषभ जय, प्रभु पारस जय जय ।
महावीर जय, गुरू गौतम जय जय ।।
महावीर को भज ले मनवा, गौतम को भज ले ।
शान्ति करगें , शान्तिनाथ को भज ले। ।।
देव हमारे श्री अरिहन्त, गुरू हमारे सदगुणी संत ।
धर्म हमारा दया - प्रधान , शास्त्र हमारे ज्ञान निधान ।
श्रमण भगवन्त श्रीमहावीर , त्रिशलानन्दन हरियों पीर ।।