यह कौशाम्बी जनपद का करारी परगना,उत्तर प्रदेश जैन धर्म के तीर्थ के साथ साथ बुद्ध धर्म के भी तीर्थ क्षेत्र की गिनती में भी शुमार है।यह भगवान बुद्ध के काल की प्रसिद्ध नगरी था,जो वत्स देश की राजधानी थी।यह नगरी यमुना नदी के किनारे बसी हुई थी और यह स्थान एेतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है।यहाँ के पर्यटन स्थलों में हिन्दू धर्म के प्रभाष गिरि,दुर्गा देवी और श्री राम मन्दिर भी प्राचीन काल में प्रसिद्ध थे।भगवान बुद्ध ,केवलज्ञान प्राप्त करने के छटे और नौवें बर्ष में विचरण करते हुये चतुर्मास ( बर्षा काल में चार माह तक एक स्थान में रहते हैं )किये थे।उस समय यहाँ पर वत्स महाजनपद के राजा उदयन की राजधानी थी।यह नगरी आज कल इलाहाबाद जनपद के दक्षिण-पश्चिम से ६३ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।प्राचीन काल में यह नगरी कौशाम के नाम से जाना जाता था।आज भी यहाँ पर भगवान बुद्ध के दो चतुर्मास में रहने के अवशेष ( खन्डरो ) के रूप में स्थित हैं।यह भारत सरकार के आर्कोलोजिकल विभाग के अन्तर्गत हैं। आजकल यहाँ पर श्रीलंका और कम्बोडिया की बौद्ध सोसाइटी के द्वारा दो बड़े सुन्दर बौद्ध मन्दिर बने हुये हैं।हमको कम्बोडियन मोनेस्टरी कौशाम्बी द्वारा अति सुन्दर निर्मित भगवान बुद्ध के मन्दिर में भगवान बुद्ध की प्रतिमा के सामने बैठ कर दर्शन करने व पूजा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस पूजा को विधि पूर्वक कराने में विराजित श्री भन्ते जी ने स्वय्म साथ बैठ कर कराने में पूर्ण सहयोग किया। इसके पश्चात उन्होंने,अपने शहर कम्बोडिया की
ग्रीन टी बिस्कुट के पान कराके हम लोगों के मन को मोह लिया।उनको धन्यबाद देने के पश्चात हम लोग कार द्वारा इलाहाबाद के लिये बापिस आ गये।इसके अतिरिक्त इन सब स्थानों के दर्शन कराने एवं घुमाने में यहाँ के पुलिस इन्सपेक्टर श्री त्रिपाठी जी ने साथ रहकर पूर्ण सहयोग किया।इन सब पवित्र एवं दर्शनीय मन्दिरों,भगवान बुद्ध के रहने व ठहरने के स्थानों, के खन्डर बने अवशेषों के कुछ चित्रों को चित्रित करने का प्रयास किया है।