Tuesday, 22 April 2014


जैन धर्म के महामंत्र की आरती:--

ऊँ जय अरिहंताणं, स्वामी जय अरिहंताणं ।भाव भक्ति से नित्य प्रति, प्रणमूँ सिद्धाणं ।। टेर ।।
दर्शन ज्ञान अनन्ता, शक्ति के धारी, स्वामी ! यथा ख्यात- समकित हैं, कर्म शत्रु हारी ।।१।।(ऊँ जय)
है सर्वज्ञ- सर्वदर्शी-बल, सुख अनन्त पाये, स्वामी ! अगुरू लघु - अमूरत, अव्यय कहलाये।।२।।(ऊँ जय)
नमो अायरियाणं, छत्तीस गुण पालक, स्वामी ! जैन धर्म के नेता ! संघ के संचालक ।।३।। (ऊँ जय)
नमो उवज्झा़याणं , चरण करण ज्ञाता, स्वामी ! अंग उपांग पढ़ाते ज्ञान दान दाता ।।४ ।। (ऊँ जय)
नमो लोए सव्वसाहूणं , ममता- मद हारी, स्वामी ! सत्य अहिंसा- अस्तेय ब्रह्मचर्य धारी ।।५ ।।(ऊँ जय)
'चौथमल' कहे शुद्ध मन जो नर ध्यान धरे, स्वामी ! पावन पंच सरमेष्टी, मंगलाचार करे ।।६।। (ऊँ जय)